Arjun ki pahli patni kaun thi

Arjun ki pahli patni kaun thi

अर्जुन के जीवन में विवाह के माध्यम से उसकी अनेक पत्नियाँ थीं। अर्जुन की पहली पत्नी द्रौपदी थी। अर्जुन की सबसे प्रिय पत्नी द्रोपदी थी। अर्जुन द्रोपदी को अपनी प्रिय पत्नी मानते थे और उनके बीच का रिश्ता बहुत गहरा और प्यार भरा था। 

द्रोपदी महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थी। द्रोपदी का स्वयंवर महाभारत के एक महत्वपूर्ण किस्से का हिस्सा था, जिसमें वह अर्जुन को पन्चाल प्रदेश के राजकुमारी के स्वयंवर का विजेता बनने में मदद की। इसके बाद वह अर्जुन की पहली पत्नी बनी।

लेकिन अर्जुन के विवाह का कहानी यहाँ खत्म नहीं होती। द्रोपदी के अलावा अर्जुन की और भी पत्नियाँ थीं, जिनमें सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन महत्वपूर्ण पत्नियाँ शामिल थीं।

अर्जुन की दूसरी पत्नी थीं सुभद्रा। सुभद्रा श्री कृष्ण की बहन थीं। सुभद्रा और अर्जुन का विवाह कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद हुआ था। इस विवाह से अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु पैदा हुआ, जो महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले योद्धा में से एक थे। सुभद्रा एक परम भक्त भगवान कृष्ण की भी थी और उनकी बहन के रूप में अर्जुन के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अर्जुन की तीसरी पत्नी थीं उलूपी, जो नागकन्या थीं। अर्जुन ने उलूपी से वासुकि नाग के साथ एक संवाद के दौरान प्रेम किया था और उससे विवाह किया था। उलूपी और अर्जुन के बीच का यह विवाह अद्वितीय था। उलूपी के साथ अर्जुन का विवाह एक अद्वितीय प्रेम कहानी की तरह है, जिसमें प्यार और साहस दोनों अहम भूमिका निभाते हैं।

चौथी पत्नी के रूप में चित्रांगदा थी। चित्रांगदा और अर्जुन के बीच एक महत्वपूर्ण घटना हुई थी, जिसमें वह अर्जुन की रक्षा करते समय कौरवों के साथ युद्ध करती हैं और उन्हें बचाती हैं। इसके परिणामस्वरूप, अर्जुन ने चित्रांगदा से विवाह किया और उनके साथ एक पत्नी के रूप में जुड़ गए।
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  • अर्जुन की चार पत्नियों के साथ उनके जीवन में विवाहित होने के पीछे विभिन्न कारण थे। हर एक पत्नी अर्जुन के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से थे और उनके साथ विवाह से उनकी जीवन यात्रा को और भी रोचक बनाते थे। इन पत्नियों के साथ अर्जुन ने अपने युद्ध कौशल और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया और महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक बने।

    इस प्रकार, अर्जुन के जीवन में उनकी पत्नियों के साथ के रिश्तों का महत्वपूर्ण हिस्सा था, और वे उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करते थे। इन पत्नियों के साथ उनका जीवन और भी आदर्शपूर्ण और रोचक बन गया, और वे महाभारत महाकाव्य के महत्वपूर्ण पात्रों के रूप में अपनी यथार्थ योगदान के लिए याद किए जाते हैं।