Khadi boli ka prayog sabse pahle kis pustak mein kiya gaya


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खड़ी बोली का प्रयोग सबसे पहले किस पुस्तक में हुआ


Q. खड़ी बोली का प्रयोग सबसे पहले किस पुस्तक में हुआ था ?
(A) प्रेम सागर
(B) सुख सागर
(C) भक्ति सागर
(D) कोई नहीं

Answer - प्रेम सागर

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Explanation : खड़ी बोली का का प्रयोग सबसे पहले प्रेम सागर पुस्तक में हुआ था, प्रेम सागर पुस्तक के लेखक लल्लू लाल जी हैं। खड़ी बोली का अर्थ खरी अर्थात् शुद्ध अथवा और ठेठ हिंदी बोली से होता है। हिन्दी खड़ी बोली शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित हुई है। खड़ी बोली का मूल नाम कौरवी है। खड़ी बोली का अन्य नाम बोलचाल की हिंदुस्तानी, सरहिंदी, वर्नाक्यूलर खड़ी बोली इत्यादि नामों से जाना जाता है। खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य प्रियप्रवास था। प्रियप्रवास के रचयिता अयोध्या सिंह उपाध्याय थे, उन्हें हरिऔध के नाम से भी जाना जाता है। खड़ी बोली का आरंभिक रूप 10 वीं शताब्दी में प्रारंभ हो गया था, अमीर खुसरो ने 14 वीं शताब्दी के प्रारंभ में पहेलिया और साहित्य लेखन किया , इसीलिए अमीर खुसरो को खड़ी बोली का जनक माना जाता है। खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना मिराजुल आशिकीन है, मिराजुल आशिकीन के रचनाकार ख्वाजा बंदे नवाज गेसू दराज है। खड़ी बोली का विकास 19 वीं शताब्दी में हुआ।

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